जालौन: जालौन के आटा थाना क्षेत्र के ग्राम बमहौरि कला में क़रीब 8 साल पहले एक व्यक्ति की मां-बेटे ने हत्या कर दी थी. 7 वर्ष चली कानूनी लड़ाई में अंततः अपर सत्र न्यायाधीश ने महिला को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है. न्यायालय ने बेटे को नाबालिग मानते हुए अभी सज़ा नहीं सुनाई गई. दोषी महिला को उरई जिला कारागार में भेज दिया गया है.
क्या था पूरा मामला?
दरअसल मामला आटा थाना क्षेत्र के ग्राम बमहौरि कला का है. जहां व्यक्ति की हत्या की गयी थी. शासकीय अधिवक्ता मोतीलाल पाल ने बताया कि 5 नवंबर 2016 को उरई कोतवाली के मोहल्ला इंदिरा नगर के रहने वाले अमृतपाल उर्फ़ ढोंगी बाबा को आटा थाना क्षेत्र के बमहौरि कला निवासी क्रांति देवी उर्फ़ एरवाली एवं उसका पुत्र जितेंद्र राजपूत उसके घर से उसकी लड़कियों का विवाद सुलझाने की बात कहकर ले आये थे. लेकिन जब कुछ समय तक अमृतपाल बापस नहीं लौटा तो उसके परिवारवालों ने उसकी खोजबीन शुरू की लेकिन कुछ पता नहीं चला. 18 जनवरी 2017 को अमृतपाल के लड़के के फोन पर एक कॉल आता है कि एक लाश मर्चुरी में रखी हुई है जिसकी शिनाख्त करने के लिए जाना है. शरीर के कपडे एवं कलावा से पता चलता है कि ये उसके बाबा अमृतपाल ही है. इसके बाद अमृतपाल की पत्नी और उसके परिवार वालों ने थाने में शिकायती पत्र देते हुए कहा कि उसके पति की क्रांति देवी उसके लड़के एवं लड़कियों ने मिलकर हत्या कर दी है. हत्या को छुपाने के उद्देश्य से उसके शव को चमारी स्थित एक कुएं में फेंक दिया है. प्रार्थना पत्र में उसने यह भी बताया कि उसके पति पर क्रांति देवी ने ग़लत आरोप लगाया है कि उसके पति ने क्रांति देवी की लड़कियों के साथ बलात्कार किया है. हत्या को छुपाने के लिये ही ये सब षडयंत्र रचा गया है. मामले को संज्ञान में लेकर पुलिस ने छानबीन शुरू की जिसमें हत्या की पुष्टि हुई है. इसके बाद पुलिस ने इस मामले में क्रांति देवी एवं उसके परिवार वालों के ख़िलाफ़ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया.
न्यायालय ने महिला को सुनाई आजीवन कारावास की सज़ा
क़रीब 7 साल तक चली कानूनी लड़ाई में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम के जज अंचल लवानिया ने क्रांति देवी उर्फ एरवाली व उसके पुत्र को दोषी मानते हुए क्रांति देवी को आजीवन कारावास एवं 12000 रुपये जुर्माना चुकाने की सजा सुनाई है. इस मामले में महिला के पुत्र जितेंद्र राजपूत को किशोर योग्य करने हेतु एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था. इस वजह से न्यायालय ने उसे किसी भी प्रकार की सज़ा नहीं सुनाई है. सजा सुनाई जाने के बाद दोषी महिला को उरई जिला कारागार भेज दिया गया है.