जालौन की अद्भुत रामलीला, 172 सालों से होता आ रहा है आयोजन, गिनीज़ बुक में है नाम दर्ज

जालौन: पूरे बूंदेलखण्ड में दशहरा का त्यौहार काफ़ी धूमधाम से मनाया गया. जगह-जगह पर रावण के पुतले दहन किये गए. उसी क्रम में जालौन के कोंच में 172 सालों से सजीव रामलीला( राम-रावण युद्व) का वर्णन होता आ रहा है. यहां तक कि कोंच की रामलीला का गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम शामिल है.  धनु तालाब के मैदान में आयोजित इस रामलीला में रावण, मेघनाद के पुतलों को दौड़ाया जाता है जिसे देखने के लिए क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे ज़िले के लोग आते हैं. 

दौड़ते हैं 40 फ़ीट ऊँचे पुतले
कोंच में आयोजित होने वाली इस रामलीला में रावण, मेघनाद, कुम्भकर्ण आदि के पुतले(पहियों के माध्यम से)  दौड़ते है जिनके पीछे राम-लक्ष्मण सजीव युद्ध करते हुए नज़र आते हैं. जिसे देखकर लोग अत्यधिक प्रसन्न होते हैं. 172 सालों से चली आ रही इस परंपरागत रामलीला को कोंच के लोग आज भी जिंदा किये हुए हैं. यहां ठीक वैसा ही होता है जैसा रामानंद सागर की रामायण में दिखाया गया है. 

बुराई पर है अच्छाई की जीत
यहां के लोगों से बात करने पर पता चला तो उन्होंने बताया कि यह लीला बताती है कि बुराई कितनी भी हावी हो जाये लेकिन अच्छाई उसे दौड़ा-दौड़ाकर खत्म ही कर देती है. इसके अलावा जो भी किरदार यहां निभाये जाते हैं वो यहाँ के स्थानीय लोगों के द्वारा ही निभाये जाते हैं. रामलीला में बाहर से कलाकारों को नहीं बुलाया जाता. धनु तालाब के मैदान में एक अयोध्या के साथ-साथ ही लंका भी बनाई जाती है. जहां अशोक वाटिका में सीता माता बैठी हुई दिखाई देती हैं. अयोध्या में भी भरत एवं शत्रुघ्न भी विराजमान रहते हैं.

मुस्लिम कारीगर पेश करते हैं मानवता की मिसाल
कोंच में आयोजित होने वाली इस रामलीला में रावण के साथ ही मेघनाद आदि के पुतलों को मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाया जाता है. वहीद मकरानी और मकीन अहमद इन पुतलों को तैयार करते हैं. इसके बाद पहिये लगे इन पुतलों को समिति के लोगों द्वारा दौड़ाया जाता है.

About आदित्य हृदय

आदित्य हृदय नवोदित पत्रकार हैं. सामाजिक मुद्दों में विशेष रुचि रखते हैं.

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