डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के छात्र महेंद्र पटेल ने एक ऐसा मॉडल बनाया है, जिससे बढ़ती हुई क्रिप्टो कैरेंसी या आभासी मुद्रा के बढ़ते खतरे से होने वाले भ्रष्टाचार से निपटा जा सके. इससे न सिर्फ टैक्स चोरी करने वाले पकड़ में आएंगे बल्कि काले धन का उपयोग, आतंकवाद को फंडिंग करने वालों को ट्रेस करना भी आसान होगा. यह मॉडल जनता के लिए न होकर सरकार के लिए है. इसके पीछे छात्र का तर्क है कि जब तक इस तरह की आभासी मुद्रा के व्यवहार पर सरकार का नियंत्रण नहीं होगा तब तक इसका उपयोग गैर कानूनी कार्यों के लिए होता रहेगा. ऐसे में शासकीय संस्थाओं को सीधी चुनौती मिलती भी रहेगी. छात्र ने अपना पूरा मॉडल व आइडिया केंद्र सरकार के नए आइडिया को प्रस्तुत करने के लिए बनाए गए “अग्नि” प्लेटफॉर्म पर भेज दिया है.
एमसीए में पढ़ने वाले विश्वविद्यालय के छात्र महेंद्र पटेल ने बताया कि, ‘आभासी मुद्रा यानी क्रिप्टो करेंसी आज भारत के साथ पूरी दुनिया में बड़ी तेजी से फैल रही है. इसकी ट्रेकिंग होना बड़ी चुनौती है. ट्रेकिंग न होने के कारण काले धन का उपयोग, आतंकवाद को फंडिंग, कर-चोरी करना इस मुद्रा ने आसान बना दिया है. इस आभासी मुद्रा की इसी विशेषता के कारण इस बात की पूरी संभावना है कि आने वाले समय में इसका फैलाव बढ़ेगा और सरकार के हाथ में कुछ नहीं बचेगा. 2008 जैसा वैश्विक आर्थिक संकट एक बार फिर आ सकता है.’
छात्र ने बताया कि मैंने इसी समस्या को पहचान कर इसका समाधान प्रस्तुत किया है. छात्र का कहना है कि यह आइडिया अभी प्रारंभिक स्तर पर है लेकिन सरकार अगर चाहे और काम आगे बढ़ा तो 7 से 12 माह में यह पूरी तरह तैयार हो जाएगा और इस पर क्रियान्वयन भी शुरू हो जाएगा.
क्या है आभासी मुद्रा :
● यह वास्तविक और सरकार द्वार जारी मुद्रा न होकर एक डिजिटल मुद्रा है. जिसके माध्यम से बड़े पैमाने पर वित्तीय गतिविधियां आरंभ हो गई हैं.
● बिट क्वाइन भी एक ऐसी ही मुद्रा है.
● इस तरह की अनेक मुद्राएं और उनका व्यापार दुनिया भर में चल रहा है और इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है.
● वास्तव में इस आभासी मुद्रा के लेन-देन की ट्रेकिंग न होना एक बड़ी समस्या है.