महादेवन गांव में सड़क पर मकान बनवा रहे दबंग के आगे बेबस चित्रकूट प्रशासन, ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी सोए हुए हैं अधिकारी

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां गांवों के कोने-कोने तक बिजली, पानी और सड़क पहुंचा देना चाहते हैं वहीं उत्तर प्रदेश में उन्हीं की पार्टी का शासन होते हुए भी उनके इस सपने पर पानी फिरता दिख रहा है। कहने को तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मोदी के सपनों को पूरा करने में उनका भरपूर साथ देने का वादा करते हैं लेकिन उन्हीं के प्रदेश में उनकी नाक के नीचे कुछ और ही खेल चल रहा है।

दरअसल उत्तर प्रदेश के जिला चित्रकूट में एक गांव है महादेवन जो कि मौजा रसिन में आता है। इस महादेवन गांव में वित्तीय साल 2005-06 में विधायक निधि से सीसी रोड का निर्माण हुआ था। इसी रास्ते से लगा हुआ महा प्रसाद पुत्र रामचन्द्र का क्च्चा मकान बना हुआ था। कच्चा घर गिर जाने के बाद महा प्रसाद नया मकान बना रहा है। मकान बनाने के लिए महा प्रसाद गांव की सड़क का इस्तेमाल कर बीच रोड में अपने मकान का पिलर बना चुका है। यही पूरे विवाद की जड़ है क्योंकि यही सड़क गांव के अंदर तक जाती है और गांव के अंदर बसे लोगों के आने-जाने के लिए यही एक रास्ता है।

इस रास्ते में महा प्रसाद द्वारा निर्माण कार्य कारए जाने के बाद गांव के भीतर ट्रैक्टर-टाली, चार पहिया वाहन, एंबुलेंस (इमरजेंसी सर्विस) जाने का रास्ता बंद हो गया है।

दरअसल गांव के लोगों ने जब बीच सड़क में पिलर करने के महाप्रसाद के काम का विरोध किया तो उसने वहां आसपास के लोगों को गालियां देना शुरू कर दिया, यहां तक की उसने खून की नदियां बहा देने जैसी बातें भी कहीं। पड़ोस में रहने वालें घरों की महिलाओं, बेटियों को संबोधित करते हुए भद्दी गालियां देता है।

गांव के ही निवासी श्रवण कुमार औऱ अन्य ने इस मामले की जानकारी जिला प्रशासन के अधिकारियों डीएम, एसपी, एसडीएम तक को दी लेकिन इस पूरे मामले में प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिस समस्या को समय रहते सुलझाया जा सकता है शायद चित्रकूट का जिला प्रशासन उसे किसी बड़े विवाद में और आपसी रंजिश में बदलने का इंतजार कर रहा है।

जहां पीएम मोदी माताओं-बहनों और उनके स्वास्थ सुरक्षा पर जोर देते हैं वहीं गांव का रास्ता अवरूद्ध हो जाने से गर्भवती महिलाओं की सुविधा के लिए चलने वाली डायल 102 (एंबुलेंस) भी गांव के भीतर तक नहीं पहुंच पाएगी। शायद जिला प्रशासन को इस बात की बिल्कुल भी चिंता नहीं है?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महाप्रसाद पूर्व में डाक विभाग में कार्यरत था और कृषि पर आधारित गांव के निवासियों को अपने पैसों का रौब दिखाता है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक महाप्रसाद असलहों से लैस अपने कुछ साथियों को बुलाकर गांव में दबंगई भी कर चुका है।

गांव के निवासियों का यह भी कहना है कि इसके संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में इसके मकान औऱ जमीन हैं। लोगों का यह भी कहना है कि नौकरी के जरिए इतनी संपत्ति खरीद पाना संभव नहीं है।

महा प्रसाद नाम के इस शख्स को प्रशासन का बिल्कुल भी डर नहीं है। इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि गांव में बन रहे एक सड़क का भी निर्माण कार्य इसने रुकवा दिया है। सड़क बनवा रहे ठेकेदार से भी इसकी तीखी नोकझोंक हुई है।

इस पूरे मसले को देखते हुए लगता है कि आम बोलचाल की भाषा में जो लोग कहते हैं कि ‘जिसके पास पैसा है, पुलिस प्रशासन उसकी जेब में है’ कहीं न कहीं यह बात सही होती देखी जा सकती है। क्योंकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि प्रशासन को इस मामले की जानकारी नहीं है।

क्योंकि उसी गांव की रहने वाली पोस्ट ग्रेजुएशन की छात्रा ज्योति ने भी इस मामले में शिकायत की थी। उसके पास भरतकूप थाने के हल्का प्रभारी गनेश गुप्ता गांव पहुंचे और उन्होंने ज्योति से मिलने को कहा। वहीं बुंदलेखंड रिपोर्ट ने जब ज्योति से इस पूरे मामले को समझना चाहा तो ज्योति का कहना है कि “उनके पास कई विभागों से लोगों के फोन आ रहे हैं लेकिन समस्या पर बात करने की जगह अधिकारी उनसे मिलने के लिए कह रहे हैं।”

छात्रा ज्योति का कहना है कि उन्होंने अपने गांव की समस्या को अधिकारियों तक पहुंचाया है औऱ अब आगे का काम प्रशासन का है कि वो गांव के हित में फैसला लें। मुझसे मिलने के लिए दबाव बनाने का काम बंद करें।

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