अमखेड़ा का प्राइमरी स्कूल बना मिसाल, प्रदेश में मिली पहचान

जालौन: वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था अपने छात्रों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनंद जगाना ही एक शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण गुण है. और आइंस्टीन की ये बात चरितार्थ कर रहे हैं विपिन उपाध्याय. विपिन उपाध्याय ज़िला जालौन के प्राथमिक विद्यालय, अमखेड़ा में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हैं. यहां उन्होंने और साथी प्रधानाध्यपक वीर सिंह ने आज ऐसा माहौल और व्यवस्थाएं बनाईं हैं कि अच्छे ख़ासे स्थानीय निजी विद्यालय भी रश्क करने लगें. विद्यालय में ऑडियो-विजुअल स्मार्ट क्लास के ज़रिए पढ़ाई होती है. हर रोज़ छात्रों को शासन द्वारा प्रस्तावित गुणवत्ता पूर्ण मिड डे मील बच्चों को परोसा जाता है. बच्चों के खेलने के लिए आधुनिक खेल सामग्री और लाइब्रेरी में बेहतरीन किताबें उपलब्ध हैं.

प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे विपिन के आदर्श प्रयासों को लगातार बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के द्वारा सराहा जा रहा है. आए दिन उनके विद्यालय और छात्रों की तस्वीरें विभाग के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स से पोस्ट होती रहती हैं. हाल ही में उनके विद्यालय के छात्रों के द्वारा बनाए गए मिट्टी के खिलौनों का वीडियो खूब वायरल हुआ. इसमें बच्चों का सृजनात्मक कौशल देखते ही बनता है.

शैक्षिक नवाचारों के लिए विपिन को राज्य शिक्षक पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है. सामाजिक स्तर पर भी उन्हें कई संस्थाएं पुरस्कृत कर चुकीं हैं. इसके अलावा विपिन जितने जागरुक शिक्षा में सुधार को लेकर हैं उतने ही मुखर वो शिक्षकों के अधिकारों को लेकर भी हैं. आज जब सरकारी प्राथमिक शिक्षा का ग्राफ़ अवसान की ओर बढ़ता दिखता है उस दौर में विपिन जैसे शिक्षक और प्राथमिक विद्यालय, अमखेड़ा जैसे विद्यालय एक उम्मीद देते हैं.

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