रोड डिवाइडर पर लगी विंड टरबाइन से बनेगी बिजली, मलकपुरा विद्यालय में बच्चों ने किया कमाल

जालौन : शिक्षा के मामले में ग्राम पंचायत मलकपुरा का विद्यालय एक बार फिर खबरों में हैं. खबरों में आने का कारण यहां पढ़ने वाले बच्चे हैं, जिन्होंने मिलकर, कई दिनों की मेहनत के बाद साइंस का एक प्रोजेक्ट बनाया है. प्रोजेक्ट का पूरा नाम वर्टिकल विंड टरबाइन फॉर रोड डिवाइडर्स (Vertical Wind Turbine for Road Dividers) है. जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, ये सड़कों या हाईवेज के बीच में बने डिवाइडर पर लगाया जाएगा और सड़कों के दोनों ओर निकलने वाले वाहनों से बहने वाली हवा से घूमकर बिजली जेनरेट करेगा.

कहां से मिली प्रेरणा?
बच्चों के अनुसार उन्हें इसकी प्रेरणा डिवाइडर पर लगी झाड़ियों और पेड़-पौधों के लहराने से मिली. फिर उन्होंने कोयले या अन्य जीवाश्म ईंधन से बनने वाली बिजली से संचालित होने वाली रोड लाइट्स ने उन्हें इससे बिजली बनने और इसी क्लीन एनर्जी (स्वच्छ ऊर्जा) से चलाने का आइडिया आया. इस तरह ये प्रोजेक्ट बनाया गया.
इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे पहले कक्षा 6 से लेकर 8 तक के बच्चों ने पैसे इकट्ठे किए और फिर इस पर काम शुरू किया. छोटे से प्रोटोटाइप प्रोजेक्ट में अभी पर्याप्त बिजली बन रही है, जो मॉडल में लगी स्ट्रीट/रोड लाइट्स और वाटर पंप को बड़ी आसानी से चला पा रही है और अतिरिक्त बिजली बैटरी में स्टोर हो रही है.

Live निरीक्षण में परफेक्ट काम 
प्रोजेक्ट के Live निरीक्षण के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी, डीसी प्राइमरी एजुकेशन और खंड शिक्षा अधिकारी के आने का कार्यक्रम था. इस अवसर पर जालौन ब्लॉक की खंड शिक्षा अधिकारी शैलजा व्यास ने बच्चों से प्रोजेक्ट संबंधी सवाल पूछे और उनकी जमकर तारीफ की और आगे के साइंस प्रोजेक्ट के लिए हर संभव मदद देने का बच्चों से वादा किया. उनके अनुसार “कंपोजित विद्यालय के बच्चों की विज्ञान के प्रति रूचि देखकर बहुत ही अच्छा लगा। ग्राम प्रधान एवं विद्यालय के समस्त अध्यापकों का इस कार्य में सहयोग रहा। आशा करते है कि विद्यालय आगामी प्रतियोगिता में अपना प्रदर्शन करे और विद्यालय के साथ ब्लॉक और जनपद का नाम रोशन करे।”
ग्राम प्रधान अमित के अनुसार “विज्ञान के इन प्रोजेक्ट्स से कई चीजें बेहतर होती हैं, जैसे बच्चे मिलकर काम करना सीखते हैं. ऐसे प्रयोगों से विज्ञान, खासतौर पर फिजिक्स में रुचि उत्पन्न होती है और किताबों में लिखे ज्ञान का सही मायनों में उपयोग हो पाता है और फिर बच्चे ज्यादा इंटरेस्ट से पढ़ते भी हैं.”.
विद्यालय में साइंस टीचर नेहा सिंह ने बताया कि “प्रोजेक्ट की सफलता के बाद अब कुछ बच्चे अपने-अपने इस्तेमाल के लिए इमरजेंसी लाइट बनाएंगे. ये लाइट्स भी स्वच्छ ऊर्जा वाली ही होंगी”. बच्चों ने बताया कि आपसी सहयोग के बाद भी प्रोजेक्ट के लिए जब रुपए कम पड़े तो जालौन कोतवाली में प्रभारी निरीक्षक विमलेश कुमार ने भी बच्चों को इसके लिए सहायता की.

विद्यालय में साइंस के उपकरण और लैब की जरूरत
ग्राम प्रधान अमित सहित प्रधानाध्यापक मिलिंद सेन और बच्चों का कहना है कि विद्यालय के लिए अब साइंस के उपकरणों और लैब की जरूरत है, इसके लिए वे यूपीडा को पत्र लिखेंगे क्योंकि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के समय यूपीडा ने साइंस लैब बनाने का आधिकारिक वादा किया था लेकिन लगभग डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं दिया गया है. नेहा सिंह के अनुसार बच्चे जल्द ही विद्यालय में दूसरे बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू करेंगे.

About आदित्य हृदय

आदित्य हृदय नवोदित पत्रकार हैं. सामाजिक मुद्दों में विशेष रुचि रखते हैं.

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