जालौन: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानि UPPSC ने अपना अंतिम परिणाम घोषित कर दिया है. परिणाम आने के बाद चयनित अभ्यर्थियों के चेहरे खिल गए. वहीं बुंदेलखंड के जालौन में एक छोटे से गांव उदोतपुरा से आने वाले विनोद कुमार ने फाइनल चयन में डिप्टी कलेक्टर बन कर केवल अपने परिवार का ही बल्कि समूचे बुंदेलखंड के नाम रोशन किया. फाइनल चयन में केवल 251 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था जिसमें इन्हें 24वीं रैंक मिली है जो अत्यंत ही गर्व का विषय है. विनोद के पिता का नाम गंगाराम दोहरे है जो कि जिले के शेखपुर इंटर कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी थे.
विनोद तीन बहनें और दो भाई हैं
पिता गंगाराम दोहरे ने अपने पांच बच्चों की पढ़ाई लिखाई बेहतर ढंग से की. विनोद की तीन बहनों में 2 शिक्षा विभाग में अध्यापिका हैं तथा 1 छोटा भाई देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा आईआईटी पास करके एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. विनोद तीन बहनों और दो भाइयों में चौथे नंबर के हैं. विनोद के पिता ने अपने बच्चों की परवरिश में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जिसका परिणाम आज सबके सामने है. विनोद की बात करें पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में कैरियर बनाने की सोची किंतु वहां उनका मन नहीं लगा और वह छोड़कर चले आये. वे देशसेवा और समाजसेवा का संकल्प लेकर कोचिंग करने के लिए दिल्ली चले गए लेकिन यहां अभी तक सफलता उनसे बहुत दूर रही.
शुरुआती पढ़ाई गांव उदोतपुरा में ही हुई
कहते हैं न कि सफ़लता किसी अच्छे संसाधन की मोहताज़ नहीं होती है. यही विनोद ने कर दिखाया है. इनकी शुरुआती पढ़ाई यानि कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल प्राथमिक विद्यालय उदोतपुरा में हुई. फ़िर उसके बाद विनोद उरई चले गए जहां उन्होंने एसआर इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की. परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद विनोद का चयन गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक उरई में हो गया. पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करने के बाद उनका चयन मान्यबर कांशीराम इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया जहां से उन्होंने बीटेक की पढ़ाई पूरी की. बीटेक करने के बाद उन्होंने किसी कंपनी में जॉइन नहीं किया बल्कि दिल्ली जाकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगे जहां कुछ समय तक उन्हें सफ़लता नहीं मिली हालांकि चौथे प्रयास में उनका चयन बतौर डिप्टी कलेक्टर के पद पर हो गया.
टेस्ट की कॉपियां चेक करके सुलझाई आर्थिक समस्या
पिता शेखपुर इंटर कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी थे उनके रिटायरमेंट के बाद परिवार के ऊपर आर्थिक संकट गहराने लगा. विनोद ने परिवार को इस हालत में देख प्राइवेट नौकरी की. चूंकि उनकी बीटेक पूरी हो चुकी थी. मन न लगने और सिविल सर्विसेज की पढ़ाई में बाधा आने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपनी आर्थिक समस्या को सुलझाने का तरीका ढूँढ़ लिया. वे कोचिंग सेंटर में छात्रों की टेस्ट की कॉपी चेक करते थे जिससे उन्हें थोड़ी इनकम हो जाती थी जो उनकी इस हालत में काफ़ी मददगार रही.
जालौन के विनोद कुमार बनेंगे डिप्टी कलेक्टर, UPPSC में पाई 24वीं रैंक
