महोबा: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाली प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश-विदेश की तमाम ज़गहों से प्रसिद्ध चीजें पूजा के लिए मंगवाई जा रही हैं. इसी क्रम में बुंदेलखंड के महोबा में उगने वाले देशावरी पान को भी पूजा थाल में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. आपको बता दें कि जिन जगहों की चीज़ें प्रसिद्ध हैं चाहे वो कपड़ा हो या मिठाई वहाँ की बस्तुएँ को पूजा-पाठ हेतु मंगवाया जा रहा है.इसके साथ ही देश-विदेश की तमाम नदियों एवं जलाशयों का जल भी अभिषेक के लिए मंगाया गया जिसमें “जालौन का पचनद” भी शामिल है. यद्यपि बुंदेलखंड का देशावरी पान तो वैसे ही देश में प्रसिद्ध है. जब से यह ख़बर जनपद वासियों को मिली है उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है. इसके साथ ही चौरसिया समाज एवं इस व्यवसाय से जुड़े अन्य लोगों में भी खुशी की लहर दौड़ पड़ी है.
आख़िर क्यों ख़ास है महोबा का पान?
महोबा का पान अपने आप मे इसलिए भी ख़ास है कि यहाँ के पान को जीआई टैग मिला है. जीआई टैग मिलने से किसान पान को अन्य जगहों पर निर्यात कर सकते हैं जिससे उनकी आय बढ़ेगी और बड़े स्तर पर खेती भी कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जनसभा में भी महोबा के पान का ज़िक्र कर चुके हैं. उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि महोबा की ये धरती ऐसी योजनाओं, ऐसे फैसलों की साक्षी रही है जिन्होंने देश की ग़रीब माताओं-बहनों के जीवन में बड़े और सार्थक बदलाव किए हैं. आपको बता दें कि देशावरी पान देश ही नहीं अपितु विदेश जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब आदि दर्जनों देशों में पसंद किया जाता है. लोगो के अनुसार ये पान इतना कोमल है कि मुंह मे रखते ही घुल जाता है. इसके साथ ही इस पान को प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के अंतर्गत भी शामिल किया गया. जिससे किसी भी प्रकार की आपदा आने पर यदि फ़सल का नुकसान होता है तो पान किसानों को सरकार द्वारा उचित मुआवजा मिलेगा.
कैसे होती है देशावरी की खेती?
अधिकांशतः ऐसा देखने को मिलता है कि पान की खेती साल की शुरुआत अर्थात जनवरी में शुरू होती है. खेती के लिए जमीन को गहरा खोदा जाता है और उसे कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ देते हैं. बाद में इसकी जुताई होती है और बरेजा का निर्माण किया जाता है. यह काम साल के दूसरे महीने में यानी फरबरी की 15 तारीख तक पूरा कर लिया जाता है जिसके बाद लगभग 1 महीने बाद तक यानी 20 मार्च के लगभग पान की बेलों को रोप दिया जाता है. अच्छे पान की खेती के लिए नमी की जरूरत पड़ती है. पान के हर नोड पर जड़ें होती है जो मिट्टी के संपर्क में आते ही नए पौधे का निर्माण करती है. जैसा कि अभी पहले बताया कि पान की बृद्धि के लिए नमी बहुत जरूरी है तथा अधिकांश यह देखने को भी मिलता है कि ये अधिकतर बरसात के मौसम में बृद्धि करते हैं. क्योंकि अच्छी नमी होने से पोषक तत्वों का संचार सुगमता से हो जाता है. जिससे उत्पादन अच्छा होता है.