नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन का दौरा किया. उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की शांतिनिकेतन में आगवानी भी की. गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देते हुए दोनों नेताओं ने आगंतुक पुस्तिका में हस्ताक्षर किए. इसके बाद दोनों नेताओं ने विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को श्रेष्ठ शिक्षा देने वाला बताया और कहा कि भारतीय लोकतंत्र 125 करोड़ लोगों को प्रेरणा देता है. उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वह गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की पावन भूमि पर शिक्षित लोगों के बीच है.
श्री मोदी ने आज उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि जिन छात्रों ने यहां अध्ययन किया है उन्होंने सिर्फ डिग्री ही हासिल नहीं की है बल्कि वे यहां की महान विरासत के उत्तराधिकारी भी बने हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वेद की शिक्षाएं समूचे विश्व को एक घोंसला या कुटुम्ब मानती हैं, जो विश्व भारती विश्वविद्यालय के मूल्यों में प्रतिबिम्बित होती है.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का स्वागत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत और बांग्लादेश दो देश हैं, जिनके परस्पर हित आपसी सहयोग और समन्वय से जुड़े हुए हैं.
PM Sheikh Hasina and I inaugurated the Bangladesh Bhavan at the Visva-Bharati University. The previous few years have been marked by a historic growth and strengthening of India-Bangladesh relations. This augurs well for the people of both nations. pic.twitter.com/XY6ozfRWQP
— Narendra Modi (@narendramodi) May 25, 2018
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का दुनिया भर में बेहद सम्मान किया जाता है. श्री मोदी ने बताया कि उन्हें 3 साल पहले ताजिकिस्तान में गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की मूर्ति का अनावरण करने का अवसर प्राप्त हुआ. उन्होंने कहा कि दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में गुरूदेव टैगोर आज भी अध्ययन का एक विषय है. श्री मोदी ने गुरूदेव को वैश्विक नागरिक बताया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर चाहते थे कि भारतीय छात्र दुनिया भर की उन्नति से कदमताल करें, लेकिन अपनी भारतीयता को बरकरार रखें. उन्होंने विश्व भारती विश्वविद्यालय के आसपास के गांवों में कौशल विकास और शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने विश्व विद्यालय को अपने शताब्दी वर्ष 2021 तक अपने दायरे को 100 गांवों तक विस्तार देने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने इन 100 गांवों के समग्र विकास के लिए विश्वविद्यालय का आह्वान किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 तक नये भारत के निर्माण में विश्व भारती विश्वविद्यालय जैसे संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया.
बांग्लादेश भवन के उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने इसे भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक बताया.
उन्होंने कहा कि विश्व विद्यालय और इसकी पवित्र भूमि का इतिहास है कि इसने दोनों ही देशों – भारत और बांग्लादेश – के स्वतंत्रता संग्रामों को देखा है.
उन्होंने कहा कि बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान भारत और बांग्लादेश, दोनों ही देशों में सम्मान पाते हैं. इसी तरह नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी को बांग्लादेश में उतना ही सम्मान प्राप्त है जितना भारत में.
उन्होंने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर उतने ही बांग्लादेश के हैं जितने भारत के. प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर का सार्वभौमिक मानवता का सिद्धांत केंद्र सरकार के सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास’ में परिलक्षित होता है. उन्होंने कहा कि क्रूरता और आतंकवाद के खिलाफ भारत और बांग्लादेश की प्रतिबद्धता बांग्लादेश भवन के माध्यम से भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी. उन्होंने पिछले वर्ष नई दिल्ली में बांग्लादेश द्वारा भारतीय सैन्यकर्मियों को सम्मान देने के कार्यक्रम को याद किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों के लिए पिछले कुछ वर्ष स्वर्णिम रहे हैं. उन्होंने भूमि सीमा मामलों तथा विभिन्न कनेक्टिविटी परियोजनाओं का भी जिक्र किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि देनों ही देशों के लक्ष्य समान हैं और इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वे समान रास्ते पर चल रहे हैं.