झांसी : बुंदेलखंड में पानी की समस्या को दूर करने के लिए केन- बेतवा परियोजना को एक बार पुनः चालू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा समिति को निर्देश दे दिए गए हैं . वैसे तो बुंदेलखंड में पानी की समस्या हो या कोई अन्य विकास का मुद्दा हो वह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहता हैं . चुनाव के समय नेताओं द्वारा बुंदेली जनता से बुंदेलखंड के विकास के लिए किये गए झूठे वादे चुनाव का परिणाम आते ही नेताओं के साथ साथ बुंदेलखंड की जनता भी समय की मार से सब कुछ एक सपने की तरह भुला देती है .
उसी क्रम में एक है केन- बेतवा लिंक परियोजना जिसे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया था . जो बाद में नेताओं के झूठे ढकोसलों के कारण बन्द हो गयी . अब उसे एक बार पुनः केंद्र सरकार द्वारा बुंदेली जनता की प्यास बुझाने के लिए परियोजना पर काम करने के निर्देश दे दिए गए . लेकिन अब देखना ये है पहले की तरह इस बार भी परियोजना कागज़ों में दफ़न हो जाएगी या फिर भौतिक रूप से भी प्रगति के मार्ग प्रशस्त होंगे .
इसके लिए राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण के डायरेक्टर जनरल एवं केंद्रीय बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण के सीईओ भोपाल सिंह ने 7 सदस्यीय टीम व झांसी के चीफ इंजीनियर के साथ बांदा की केन नदी का मुआयना किया और निर्माण कार्य शुरू करने व प्रशासनिक कामकाज के बंटवारे की रूपरेखा भी तैयार की .
220 किलोमीटर लंबी नहर बनेगी
मध्य प्रदेश के कटनी-पन्ना और छतरपुर जिलों में बहने वाली केन नदी 427 किलोमीटर लंबी नहर उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के पास यमुना नदी में समाहित होती है . मध्य प्रदेश रायसेन के पास से निकली बेतवा नदी 576 किलोमीटर लंबी नहर उत्तरप्रदेश के हमीरपुर के पास यमुना नदी में गिरती है . केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत ढोढन (पन्ना) में डैम बनाकर केन के पानी को वहीं रोका जाएगा . यहां से 220.624 किलोमीटर की नहर बनाकर केन का पानी बरुआसागर (झांसी) से निकली बेतवा नदी में विस्थापित किया जाएगा , इसमें 2 किलोमीटर लंबी सुरंग भी बनाई जाएगी .
दोनों नदियों के जुडने से केन-बेतवा लिंक नहर परियोजना बनाई जाएगी . जिसका मध्यप्रदेश के 9 जिलों पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी, रायसेन और उत्तरप्रदेश के 4 जिलों बांदा, महोबा, झांसी, ललितपुर को इस प्रोजेक्ट से लाभ मिलेगा . केन और बेतवा नदी को जोड़ने वाली परियोजना वार्षिक सिंचाई और बिजली उत्पादन भी प्रदान करेगा . बुंदेलखंड क्षेत्र के 62 लाख लोगों को भी इस परियोजना से बेहतर पेयजल आपूर्ति होगी और दो लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होगी .
10 गांव हो सकते हैं विस्थापित
करीब 44 करोड़ रुपये की लागत से नहर का निर्माण कार्य होना है . लेकिन उसके पहले जो गांव नहर परियोजना के रास्ते में आएंगे , उनके विस्थापन की केंद्र को कुछ योजना बनानी होगी . खबरों के मुताबिक करीब 10 गांव विस्थापित हो सकते , जिनके विस्थापन का खर्च या उनको मुआवजा देना केंद्रसरकार पर निर्भर करता है .