कुलपति की जान बचाने के चक्कर में एबीवीपी छात्र नेताओं पर दर्ज हुआ डकैती का मुकदमा, 3 दिन बाद मिली ज़मानत

ग्वालियर : विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रनेताओं पर जज की कार लूटने के आरोप में डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ. यहाँ पर छात्र नेताओं ने कुलपति की जान बचाने के चक्कर में जज की कार छीन ली. मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर का है. जहाँ पर बिना अनुमति जज की कार उपयोग करने पर जीआरपी द्वारा मुकदमा कर दिया गया था.

आइए समझते हैं पूरा मामला
पीके यूनिवर्सिटी के कुलपति और उनके साथ कुछ छात्र जो कि अभाविप से संबंधित थे ट्रेन में सफ़र कर रहे थे तभी अचानक कुलपति रंजीत यादव की कराहने की आवाज़ सुनाई दी. जिसे सुनकर छात्र दौड़कर उनके पास पहुँचे तथा उनका हालचाल जाना तभी उन्होंने अपने सीने की तरफ़ इशारा करते हुए बताया कि शायद उन्हें हार्टअटैक आया है. कुछ ही समय में अगला स्टेशन ग्वालियर आने वाला था. आनन फानन में छात्रों ने प्रोफ़ेसर को स्टेशन पर उतारा तथा एम्बुलेंस को फ़ोन किया लेकिन काफ़ी समय के बाद जब कोई सहायता नहीं मिली तो छात्र दौड़कर स्टेशन के बाहर भागे जहां पर उन्हें जज की कार खड़ी मिली. उन्होंने कार छीनकर पास के अस्पताल में उन्हें एडमिट कराया लेकिन काफ़ी समय के उपचार के बाद डॉक्टर ने कुलपति को मृत घोषित कर दिया. अब जब जज की कार उस स्थान पर खड़ी नहीं मिली तो उन्होंने छानवीन शुरू कर दी तब पता चला कि उनकी कार कुछ लड़के ले गए. उन्होंने इसे डकैती का रूप देकर मुकदमा दर्ज करवा दिया.

तमाम ज़गह हुए आंदोलन, निकाली मौन यात्रा
विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने देश विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलन कर कार्यकर्ताओं को निर्दोष बताया. अभाविप के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का कहना है कि छात्रों ने कानून के ऊपर मानवता को रखा अग़र किसी की जान बचाने के उद्देश्य से कोई अपराध अनजाने में किया जाता है तो वो अपराध नहीं होता. कई जगहों पर एबीवीपी ने मौन यात्रा निकालकर रोष जताया. इसका असर सोशल मीडिया पर भी देखने को मिला है. हालांकि तीन दिनों के संघर्ष के बाद छात्र नेताओं को जमानत मिल गयी. उन्होंने इसे मानवता की जीत बताया है.

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आदित्य हृदय नवोदित पत्रकार हैं. सामाजिक मुद्दों में विशेष रुचि रखते हैं.

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