ओरछा : बुंदेलखंड की अयोध्या कही जाने वाली ओरछा को प्रभु के विवाह के समय पर बहुत ही भव्य एवं दिव्य तरीके से सजाया गया. ओरछा मध्यप्रदेश के जिला टीकमगढ़ में स्थित है और उत्तरप्रदेश के झांसी से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर है. ये मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बॉर्डर पर बसा हुआ क्षेत्र है. ऐसी मान्यता है कि आज ही के दिन प्रभु श्रीराम ने भगवान शिव का वह विकराल धनुष तोड़कर स्वयंवर जीता था और माता सीता और श्रीराम का विवाह आज ही के दिन हुआ था. इस मौके पर भारी मात्रा में श्रद्धांलु प्रभु के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं.
आरती के समय दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर
ओरछा में प्रभु राम को भगवान के रूप में नहीं बल्कि एक राजा के रूप में पूजा जाता है तथा आरती के समय पुलिस के जवानों के द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया जाता है. जिसको देखने के लिए केवल प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर से श्रद्धालु आते हैं. रामराजा सरकार विश्व का अकेला मंदिर है जहां राम की पूजा राजा के रूप में होती है. और उन्हें सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात सलामी दी जाती है. ओरछा को बुंदेलखंड की अयोध्या के रूप में मान्यता प्राप्त है. यहां पर रामराजा अपने बाल रूप में विराजमान हैं. यह जनश्रुति है कि श्रीराम दिन में यहां तो रात्रि में अयोध्या विश्राम करते हैं. शयन आरती के पश्चात उनकी ज्योति हनुमानजी को सौंपी जाती है.
आस पास के मंदिर और अन्य पर्यटन स्थल
रामराजा मंदिर के चारों तरफ हनुमान जी के मंदिर हैं. दारी हनुमान, बजरिया के हनुमान, लंका हनुमान आदि मंदिर एक सुरक्षा चक्र के रूप में चारों तरफ हैं.ओरछा की अन्य बहुमूल्य धरोहरों में लक्ष्मी मंदिर, पंचमुखी महादेव, राधिका बिहारी मंदिर ,राजामहल, रायप्रवीण महल, हरदौल की बैठक, हरदौल की समाधि, जहांगीर महल और उसकी चित्रकारी प्रमुख है.
मूर्ति के बारे में प्रचलित बातें
जो मूर्ति ओरछा में विद्यमान है उसके बारे में बताया जाता है कि जब राम वनवास जा रहे थे तो उन्होंने अपनी एक बाल मूर्ति मां कौशल्या को दी थी. मां कौशल्या उसी को बाल भोग लगाया करती थीं. जब राम अयोध्या लौटे तो कौशल्या ने यह मूर्ति सरयू नदी में विसर्जित कर दी. यही मूर्ति गणेशकुंवरि को सरयू की मझधार में मिली थी. यहां राम ओरछाधीश के रूप में मान्य हैं.