दतिया: अखिल भारतीय ग्रामीण डाक सेवक संघ की हड़ताल के कारण चौथे दिन भी डाक घर में कोई काम नहीं हो सका. इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग 300 गांवों की 4500 चिट्ठी, पार्सल नहीं बांटे जा सके. दरअसल डाक कर्मचारी सातवें वेतन वेतनमान के लिए गठित कमलेशचंद्र कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं.
ग्रामीण डाक कर्मियों पिछले तीन दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. दतिया उप संभाग के संगठन सचिव मुडुल चौरसिया का कहना है कि कमेटी की रिपोर्ट को जब तक लागू नहीं किया जाता तब तक हड़ताल जारी रखी जाएगी.
हड़ताल से लोगों को डाक घरों में किश्त भरना, लोगों की जरूरी डाक, पासपोर्ट, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, रोल नंबर, इंटरव्यू लेटर आदि कार्य रुके हुए है. बता दें डाक विभाग में कुल मिलाकर 2.6 लाख ग्रामीण डाक सेवक हैं. जीडीएस समिति के दायरे में ये सभी जीडीएस आएंगे.
कमलेशचंद्र कमेटी की सिफारिशें
भारत सरकार द्वारा डाक विभाग में ग्रामीण डाक सेवकों के वेतन ढांचे, सेवा शर्तों इत्यादि की समीक्षा करने के लिए 1 जनवरी 2016 को एक सदस्यीय समिति गठन किया गया. डाक सेवा बोर्ड के सेवानिवृत्त सदस्य श्री कमलेश चंद्र समिति के अध्यक्ष रहे. इस समिति का काम ग्रामीण डाक सेवकों की सेवा शर्तों पर गौर करना और आवश्यक समझे जाने पर अहम परिवर्तन सुझाना है. समिति के विचारार्थ अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित विषय भी शामिल होंगे –
- शाखा डाकघरों की प्रणाली, संलग्नता की शर्तों और ग्रामीण डाक सेवकों को भुगतान किए जाने वाले पारिश्रमिक एवं नामांकन की मौजूदा संरचना पर गौर करना और आवश्यक परिवर्तनों की सिफारिश करना.
- रामीण डाक सेवकों के लिए मौजूदा सेवा निर्वहन लाभ योजना/अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभों की समीक्षा करना और आवश्यक बदलावों की सिफारिश करना.
- रामीण डाक सेवकों को प्रदान की जाने वाली मौजूदा सुविधाओं/कल्याणकारी उपायों की समीक्षा करना और आवश्यक परिवर्तनों की सिफारिश करना.
- खासकर ग्रामीण डाकघरों में प्रौद्योगिकी को समाहित किए जाने के प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण डाक सेवकों के रूप में संलग्नता के लिए न्यूनतम योग्यता, संलग्नता के तौर-तरीकों, उनके आचरण एवं अनुशासनात्मक नियमों पर गौर करना और कोई परिवर्तन सुझाना.